आखिर कैसे बना दिया वानरों ने इतना बड़ा राम सेतु का पुल्ल ?

आधुनिक भारत के एक बहुत पुराना बहस कि राम सेतु कैसे बना था। क्या जैसे साइंटिस्ट कहते हैं वैसे ही प्राकृतिक तरीके से बनने वाला एक भूखंड है या  रामायण की कहानी के अनुसार श्रीराम जी के आदेश में वानर सेना ने बनाया था ये सेतु। या वो प्राकृतिक उपाय से बना यह चर्चा तो बरसों से चल रहा है पर इस बात विवाद से ऐसे बहुत सारे डीटेल्स निकल के आया जो हमें सोचने पर मजबूर करता है कि राम सेतु आखिर बनाया किसने था राम सेतु समंदर के बीच से गुजरने वाला एक सेतु या सड़क है जो तामिलनाडु के पंपमैन आइलैंड और श्रीलंका के मन्नार आइलैंड को जोड़ता है।

मंदिरों के पुराने रेकॉर्ड्स बताते हैं कि ये सेतु 15वीं शताब्दी तक भी अटूट था पर चौदह सौ अस्सी के बाद ही भयानक साइक्लोन में समुंदर के ताकतवर जलराशि से ये सेतु धुल गया। अब  साइंस बताता हमको है कि ये सेतु एक प्राकृतिक तरीके से बनने वाला सेतु है  जहां हिंदू धर्म ग्रंथ रामायण में कहा गया है कि श्री राम जी के आदेश से हनुमान और वानर सेना बनाया था। ये ब्रिज जो उनको लंका में ले के जा सकता था जहां वे बंदी थे सीता .पर ये सब कुछ चेंज हुआ। 2002 में जब नासा की एक सैटलाइट ने राम सेतु का पिक्चर लिया तो अचानक से बहुत सारे लोगों का इंटरेस्ट आ गया। राम सेतु पे क्योंकि नासा की वो पिक्चर्स से भी लग रहा था कि ये कोई रैंडम आइलैंड चेन नहीं बल्कि एक बीच बीच में टूटा हुआ ब्रिज की तरह है तो फिर कुछ रिसर्चर्स ने फिर से इनवेस्टगे ट करने का डिसीजन लिया 

और इस बार जो सबूत निकल आया वो साइंटिफिक कम्यूनिटी को एक बहुत बड़ा झटका दिया। जियोलॉजिकल रूल है कि आप जमीन पर जितना खो दोगे आपको मिट्टी का उतना पूराना स्तर मिलता जाएगा। मतलब मिट्टी की ऊपरी हिस्सा सबसे नया होता है और एकदम नीचे का हिस्सा सबसे पुराना। कभी ऐसा नहीं होगा कि ऊपर का स्तर नीचे वाला से ज्यादा पुराना हो पर राम सेतु को निरीक्षण करने वाले रिसर्चर्स को ऐसा ही देखने को मिला।  वह देखेगी राम सेतु के पत्थर के नीचे जो रेत का स्तर है वह चार हजार साल पुराना है पर उसके ऊपर का पत्थर सात हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। साइंटिफिक पॉइंट ऑफ़ व्यू  से यह असंभव है। 

यहां रेत को होना चाहिए था। पत्थर से ज्यादा पुराना इस बात तो स्पष्ट हो जाता है कि पत्थर को कोई दूसरी जगह से लाया गया था और यह सेतु का निर्माण किया गया था। कोई प्राकृतिक उपाय से नहीं बना था। अब सवाल यह उठता है कि फिर किसने बनाया था यह ब्रिज कैसा हो सकता है लगभग 50 किलोमीटर लंबा यह सेतु बनाने में जितना पत्थर काटना पड़ा था और वो पत्थर उठाकर ले के जाना फिर वो सही जगह पर डालना। 

उसके बाद दिशा सही राह के दूसरे किनारे पर पहुंचा। ये तो वैसे एक डिसिप्लीन आर्मी ही कर सकता था। पर दोस्तो ये सब बातें कोई साइंटिफिक जर्नल में नहीं निकलेगा  क्यूंकि किसी ने अगर ऐसा कोई आवाज भी दिया कि राम सेतु के बनने के पीछे सचमुच श्रीराम और उनके वानर सेना हो सकते हैं तो उनका करियर तो वही पे खतम। जिस बात का कोई पक्का साइंटिफिक सबूत ना हो वो साइंटिफिक जर्नल में कभी नहीं निकलेगा।  जितना भी सबूत रिसर्चर्स को मिला उससे बस एक ही बात स्पष्ट होता है कि राम सेतु को बनाने वाले थे स्वयं श्रीराम। 

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