
अब जो में आपको बताने वाला हूं वह शायद आपने कभी सुना हो। क्या आपने आज तक कभी हनुमान जी की डे थ की कोई भी कहानी सुनी है। नहीं न। कहते हैं कि हनुमान जी को अमर होने का वरदान मिला था और वो अब भी जिंदा हैं और हिमालय के जंगलों में कुछ महान लोगों ने उनके दर्शन करने की बात भी कही है।लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमानजी के दर्शन बस एक मंतर पड़ने से भी हो सकते हैं और वो मंत्र है। ॐ ऐं भ्रीम हनुमते, श्री राम दूताय नम:
लेकिन इसके लिए भी दो कंडीशन से पहली कंडीशन है कि मंत्र पढ़ने वाले को अपनी आत्मा को हनुमान जी के साथ कनेक्शन का अहसास होना चाहिए। और सेकिंड कंडीशन है कि मंतर पड़ने की जगह नई दिल्ली यानि कि 900 80 मीटर तक ऐसे कोई भी इंसान नहीं होना चाहिए जो कंडीशन को पूरा कर सकता हो। विश्वास नहीं हुआ न इसके पीछे भी एक रीजन है। कहते हैं जब भगवान राम ने अपने मानव शरीर छोड़ दिया था तब हनुमान आयोध्या छोड़ जंगलों में चले गए। वह श्री राम की यादों में श्रीलंका के जंगलों में भी गए जहां विभीषण का राज था। उनमें से एक जंगल था। । उन्होंने वहां कई दिन बिताए और उस दौरान कुछ जंगल वासियों की सेवा की। वहां से वापस लौटते वक्त हनुमानजी ने उनकी भक्ति और सेवा से खुश होकर उनको यह मंत्र दिया और कहा कि जब भी तुम्हें दर्शन करना चाहो कभी मंत्र पढ़ लेना।

मैं पलक झपकते ही आ जाऊंगा। पर उस जंगल के कबीले वालों ने हनुमानजी से बोला कि अगर ये मंतर किसी और के हाथ लग गया और वो इसका गलत इस्तेमाल करने लगें तो ,तब हनुमानजी ने उनसे कहा कि ये मंदिर सिर्फ उस इंसान के लिए काम करेगा जिसको अपनी आत्मा जो मुझसे जुड़े होने का एहसास होगा। लेकिन कबीले वालों की एक और प्रॉब्लम थी और वो थी कि हनुमान ही तो उनको आत्मज्ञान दे दिया पर उनकी आने वाली पीढियों को आत्मज्ञान कैसे होगा। तब हनुमानजी ने उनसे कहा कि वो हर 41 साल बाद उनके कबीले के साथ रहने आएंगे और उनकी पीढ़ी को आत्मज्ञान देंगे। लेकिन मजेदार बात ये है कि यह कबीला अभी भी मौजूद है और श्रीलंका के जंगलों में मॉडर्न वॉल से बहुत दूर रहती है।
उनके बारे में आजतक कोई नहीं जानता था। पर 2014 में कुछ खोजकर्ताओं ने श्रीलंका की जंगलों में कुछ अजीब ऐक्टिविटी नोटिस की। बाद में उनको पता चला कि यह अजीब है दरसल पूजा का हिस्सा थी जो हर 41साल में हनुमान जी के आने में की जाती थी जिसको चरण पूजा कहते हैं। और वो लोग यह सब इसलिए करते थे क्योंकि हनुमानजी उस साल उनके साथ थे। सिर्फ कबीले वाले उनको देख सकते थे बाकियों के लिए वह नजर नहीं दिखाई देते थे। हनुमानजी वहां से 27 मई 2014 को कबीले वालों को आत्मज्ञान देने के बाद वहां से चले गए और इस कबीले के हेड ने एक बुक भी मेंटेन करके रखी हुई है जिसमें वह हनुमानजी के हर मिनट की डिटेल नोट करते हैं। उनका हर वर्ग उनकी हर हरकत सबकुछ । ये बुक अधिक सीटू एशिया के पास है और वो लोग इस बुक के पिदुरु पहाड़ के आश्रम में समझने की कोशिश कर रहे हैं जो कि बहुत मुश्किल है और कहते हैं कि इस बुक के जरिए आत्मज्ञान मिल सकता है।
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