
कैलास पर्वत पहले भारत का हिस्सा था। हिंदू धर्म में भगवान शिव और कैलाश पर्वत का विशेष महत्व ही माना जाता है। भगवान शिव देवों के देव महादेव होने के साथ साथ दानव मानव वह यक्ष गंधर्व नाग सहित संपूर्ण जगत के स्वर हैं। मित्रो क्या आपको पता है कि कैलाश पर्वत अपने आप में एक मणि जैसा है। हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार कैलाश पर्वत एक ओर इसपत्हिक दूसरी ओर मणिक तीसरी तरफ सोना तथा चौथी तरफ नीलम से बना हुआ है जो आज के समय में बेहद कीमती है। 1962 ची न ने भारत पर अचानक ह मला कर दिया।
उसी समय भारत देश को अंग्रेजों से आजाद हुए मात्र 15 साल ही हुए थे। लिहाजा भारतीय सेना से सख्त ही नहीं साधी तत्कालीन भारतीय सरकार भी कैलास क्षेत्र के प्रति उदासीन थी। लिहाजा चीन ने भारत की लगभग 43 हजार वर्ग मीटर भूमि पर कब्जा कर लेता है जिसमें कैलास पर्वत सहित संपूर्ण तिब्बत क्षेत्र आता है। कैलास क्षेत्र पर कब्जा करने के बाद से ही चीन काफी उत्साहित था और उसने कई बार इस पर्वत पर चढ़ने का प्रयास किया। मित्रों आज से बीस साल पहले सन 2001 में चीन ने स्पेन व रूस के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर कैलास पर चढ़ने की अंतिम बार कोशिश की थी।
मित्रों वह टीम कैलास पर चढ़ने में सफल तो न हो सकी परंतु जो अनुभव उन्होंने बताया वह हैरान करने वाले थे। कर्नल आर सी विल्सन ने बताया था कि जब हम कैलास पर चढ़ने का सीधा रास्ता खोज लिए थे और जैसे ही हम उस पर आगे बढ़े तो बर्फ की भीषण बर्फबारी शुरू हो गई और बर्फ ने उस रास्ते को बंद कर दिया रूस के पर्वतारोही सर्गेई सिसोदिया गोव ने बताया कि जब वह कैलास के नजदीक पहुंचे तब उनका दिल जोरों से धड़कने लगा था। घबराहट भी हुई और अंदर से आवाज आई कि हमें आगे नहीं जाना चाहिए जिसके बाद वह सभी नीचे आ गए और उनका मन भी हल्का होने लगा। कलास में चढ़ने वाले एक वैज्ञानिक ने बताया कि कैलास पर चढ़ना पूर्ण रूप से असंभव है

क्योंकि कैलास पर्वत किसी अदृश्य शक्ति द्वारा संरक्षित किया गया है। साथ ही एक वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार कैलास एक पिरामिड जैसा है जो बिल्कुल दिशा बताने वाले कम्पास के तरीके से काम करता है। कुछ का तो यह भी मानना है कि यह किसी प्राचीन मानव या किसी दिव्य शक्ति द्वारा बनाया गया है। मित्रों इसके निर्माण को लेकर एक वैज्ञानिक मान्यता यह भी है कि लगभग 10 करोड़ वर्ष पहले यहां पर एक समुद्र था। भारतीय उप महाद्वीप का रसियन महाद्वीप से टकराने के बाद यह हिमालय पर्वत श्रेणी का निर्माण हुआ। कैलास पर्वत बहुत ही पवित्र स्थान है जहां पर आज का कलियुगी तामसिक मनुष्य पहुंच नहीं सकता। वहां केवल वही पहुंच सकता है जो आत्मिक और शारीरिक तौर पर आध्यात्मिकता के शिखर पर हो जिसकी भगवान शिव में प्रगाढ़ आस्था हो ,
तिब्बत के धर्म गुरुओं ने रशिया के वैज्ञानिकों को बताया था कि कैलास पर्वत के चारों ओर अलौकिक शक्ति का प्रवाह है जिसमें तपस्वी लोग आज भी टेलीपैथी से आध्यात्मिक गुरुओं से संपर्क करते हैं। मित्रों यहां के आसपास क्षेत्र में आज भी ओम की ध्वनि सुनाई देती है। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि यह आवाज बर्फ के पिघलने की है जहां ध्वनि और प्रकाश के बीच समागम होता है तब ओम की ध्वनि निकलती है मित्रों कैलाश पर्वत की ऊँचाई 6600 से अधिक है जो दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट से लगभग 22 सौ मीटर कम है। फिर भी माउंट एवरेस्ट पर तो कई लोग चढ़ चुके हैं। कई पर्वतारोही जा चुके हैं लेकिन कैलाश हमेशा से ही अजेय रहा है जहां आज तक कोई नहीं चढ़ पाया। विद्रोही हिन्दू धर्म सहित विश्व के सभी धर्मों के लोग आज यह मानते हैं कि कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान है
जो बेहद पवित्र स्थल है और चीन भी यह अच्छी तरह समझ चुका है। इसीलिए सन 2001 के बाद उसने कैलास पर चढ़ने के लिए रोक लगा दी। इसके बाद से कैलास पर्वत का रहस्य वैज्ञानिको के लिए विशेष कौतूहल का विषय बना रहा। वर्ष 2015 से 16 के बीच एकबार फिर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने गूगल अर्थ व सेटेलाइट द्वारा कैलास पर रिसर्च आरंभ की। नासा के वैज्ञानिक यह जानना चाहते थे कि आखिर क्या है कैलास पर्वत में जो आज तक कोई चढ़ नहीं पाया। आखिर क्यों न तो इसके ऊपर कभी हेलिकॉप्टर ले जाया जा सकता है और न ही जहाज। गूगल अर्थ द्वारा जो फुटेज सामने आई उसने नासा और गूगल के भी होश उड़ा दिए।
उन्होंने सैटेलाइट द्वारा कैलास पर्वत की जब तस्वीरों को देखा तो वहां पर भगवान शिव ध्यान मुद्रा में बैठे हुए थे। यह सुनने में आपको थोड़ा हैरान कर देने वाला लग रहा होगा लेकिन यह सच है। आप इन तस्वीरों में स्पष्ट रूप से देख सकते होंगे कि भगवान शिव की तस्वीर किस तरीके से कैलास पर्वत पर नजर आ रही है। आप चाहें तो यह गूगल पर भी मौजूद है आप खुद जाकर चेक कर सकते हैं। यह साक्षात ईश्वर है जो कैलास पर्वत पर निवास करते हैं और हम जैसे आधुनिक मनुष्य जो न तो पवित्र आचरण का है न प्यार में तपस्या और आध्यात्मिक जीवन शैली है हमारे पास। हम छल कपट चोरी बेईमानी से भरे मन से हैं। आखिर हम कैसे भगवान शिव के समक्ष जा सकते हैं। जो फोटो आप अपनी स्किन पर देख रही हैं यह गूगल अर्थ वर्मा नासा द्वारा प्रमाणित तौर पर सत्यापित की जा चुकी है। इसमें किसी भी प्रकार की एडिटिंग नहीं की
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