
बस जान ले ये बातें, पुलिस भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगीदेश की पुलिस आज भ्रष्टाचार और गैरजिम्मेदारी की प्रतीक छवि बन चुकी है।शिक्षा और जागरूकता के अभाव में बहुत सारे नागरिकों को अपने कानूनी अधिकार नहीं पता होते जिसकी वजह से हम परेशानी भ्रष्टाचार और धोखेबाजी का शिकार हो जाते हैं।
यही वजह कि आपको अपने मौलिक अधिकारों के बारे में जानकारी होनी चाहिए जिससे कि आप बे वजह पुलिस और कानूनी दांव पेच से डरने की बजाय उनको आसानी से अपने रोजमर्रा के जीवन में सही इस्तेमाल कर सकें। तो चलिए जानते हैं अगर आप बाइक या कार से कहीं जा रहे हो रास्ते में अचानक ट्रैफिक पुलिस दिखाई दे जाए तो हालत ऐसी हो जाती है जैसे सामने शेर आ गया हो
मोटरयान अधिनियम 986 की धारा 129 में दुपहिया वाहन चालकों और उनके पीछे बैठे सवार के लिए हेलमेट पहनने का अनिवार्य प्रावधान किया गया है और इसका पालन हमें चालान के डर से नहीं बल्कि अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखकर करना ही चाहिए। लेकिन कई बार यह ट्रैफिक पुलिस वाले आपकी बाइक या कार की चाबी निकाल लेते हैं। ट्रैफिक पुलिस के द्वारा गाड़ियाँ मोटर साइकिल से चाबी निकालना बिल्कुल गैर कानूनी है।

लेकिन क्या आपने सोचा है ट्रैफिक पुलिस से ही नियमों की धज्जियाँ उड़ाते दिखे तो उनका कितना चालान कटेगा ।पुलिस अधिकारी नए मोटर वीइकल एक्ट की धज्जियाँ उड़ाते पाएगा तो उसे आम आदमी के मुकाबले दोगुना चालान भरना पड़ेगा। इसके अलावा जानकर बता दे कि सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार ड्राइविंग लाइसेंस यानि डीएल और रजिस्ट्रेशन सर्टिफ़िकेट यानि आरसी और दूसरे कागज़ात तुरंत नहीं दिखाने पर ट्रैफिक पुलिस तुरंत चालान नहीं काट सकती। इसके लिए वाहन चालक को कुछ दिन का समय दिया जाता है। अगर इसके बाद भी चालान काट दिए जाते तो वाहन चालक कोर्ट जाकर अपने कागज दिखा कर जुर्माने को माफ कराया जा सकता हैं
अगर पुलिस ऐसा करती है तो आप पुलिस अधिकारी से विनम्रता से बताएं कि ऐसा ना करें यदि फिर वो न माने आप पुलिस के बड़े अफसरों जैसे पुलिस अधीक्षक आदि से उनकी शिकायत कर सकते हो आप उनकी गोपनीय तरीके से ऑडियो और वीडियो भी बड़े अधिकारियों को दिखा सकते हो। इसके अलावा पर चालान काटने के लिए ट्रैफिक पुलिस के पास उनकी चालान बुक या फिर ई चालान मशीन होना जरूरी है। यदि इन दोनों में से कुछ भी उनके पास नहीं है तो आपका चालान नहीं काटा जा सकता।
ट्रैफिक कॉन्स्टेबल को किसी प्रकार के चालान काटने जुर्माना वसूलने की अनुमति नहीं है वो केवल गाड़ी का नंबर नोट कर जेडओ को देता है और उसी के कहने पर चालान की पर्ची काटकर दे सकता है।वहीं हैड कांस्टेबल को सौ रुपये तक जुर्माना लगाने का अधिकार है। केवल। ASI तथा SI को ही सौ रुपए से अधिक जुर्माना लगाने का अधिकार प्राप्त है।
यातायात पुलिस को रिश्वत देने का प्रयास नहीं करना चाहिए। आप ट्रैफिक पुलिस का बैच नंबर उसका नाम नोट करें। अगर उन्होंने बेल्ट नहीं पहनी तो उन्हें अपना पहचान पत्र दिखाने को कहें। अगर वह आपको अपना पहचान पत्र देने से इनकार कर देता है तो आप उसे दस्तावेज़ देने से इनकार कर सकते।
जब तक आप गाड़ी में बैठें। यातायात पुलिस आपके वाहन को नहीं खींच सकती। पुलिस के आपके वाहन को खींचने से पहले आपको वाहन खाली करना होगा।महिलाएं पुलिस को ईमेल के माध्यम से भी शिकायत दर्ज करा सकती हैं। दिल्ली पुलिस ने हाल ही में महिलाओं को ऐसी सुविधा दिए जिनमें महिलाएं घर बैठे अपनी शिकायत को ईमेल के माध्यम से दर्ज करवा सकती हैं और उन्हें पुलिस स्टेशन आने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
अब हम आपको कुछ पुलिस संबंधित रूल्स बता देते हैं जिनकी जानकारी आपको होनी चाहिए। साल 1861 में बने पुलिस एक्ट के अनुसार भारत के हर राज्य के पुलिस अधिकारी हमेशा ड्यूटी पर रहेगा। अगर किसी जगह पर आधी रात को भी कोई आपराधिक घटना होती है तो पुलिसकर्मी को ये कहने का कोई अधिकार नहीं होता कि वो ड्यूटी पर नहीं है क्योंकि पुलिस एक्ट के अनुसार पुलिसकर्मी बिना वर्दी के भी हमेशा ड्यूटी पर रहते हैं।
भारत में अभी भी बहुत सारे लिवइन रिलेशनशिप को कानूनी अपराध मानते हैं।
भारतीय कानून के अनुसार लिव इन रिलेशनशिप अवैध नहीं है लेकिन लिवइन रिलेशनशिप में रहने वाले पुरूषों और महिलाओं को बहुत जरूरी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। अगर लिवइन रिलेशनशिप में बच्चे का जन्म होता है तो उसका माता पिता की प्रॉपर्टी पर पूरा पूरा अधिकार होगा।अगर कोई व्यक्ति आपसे काम लेकर या आप से पैसे उधार लेकर आपको भुगतान नहीं करता तो आप अदालत में उस व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
भारतीय अधिनियम के अनुसार अगर कोई आपको भुगतान नहीं दे रहा हो तो आप उस व्यक्ति के खिलाफ अदालत में पिटिशन लिख कर मामला दर्ज करवा सकते हैं या आपको कानूनी अधिकार होता है। आपके पास उस व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने का तीन साल का समय होता है जिससे आपने पैसे लेने के बाद कुछ नहीं हो सकता।
आजकल कंपनियों में लोगों को तोहफे भेजने की परंपरा बनती जा रही है। सरकार द्वारा इस तरह की परंपरा को खत्म करने के लिए वर्ष 2010 में कानून बनाया गया था। इस कानून के मुताबिक अगर आप किसी कंपनी से किसी तरह तोहफ़ा लेते हैं तो उसको रिश्वत समझा जाएगा और आप पर कानूनी कारवाई हो सकती है।
यदि आप सार्वजनिक जगहों पर अश्लील गति विधि में लिप्त पाए जाते हैं तो आपको तीन महीने तक की कैद भी हो सकती है। परंतु अश्लील गति विधि की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं होने के कारण पुलिस इस कानून का दुरुपयोग करती है। अगर पुलिस आपको गैर कानूनी तरीके से गिरफ्तार करती है। तो ये न सिर्फ भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी का उल्लंघन है बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद आर्टिकल ट्वेन्टी , ट्वेन्टी वन , ट्वंटी टू में दिए गए मौलिक अधिकारों के भी खिलाफ है।
मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर पीड़ित पक्ष संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं।
सीआरपीसी की धारा 41 डी के मुताबिक गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को यह अधिकार होता है कि वो पुलिस जांच के दौरान कभी भी अपने वकील से मिल सकता है। साथ ही वो अपने वकील और परिजनों से बातचीत कर सकता है।यही नहीं अगर गिरफ्तार किए गए व्यक्ति और गरीब है तो उसके पास पैसे नहीं हैं तो उसको मुफ्त में कानूनी मदद दी जाती है यानि उसको फ्री में वकील मुहैया कराया जाता है। सीआरपीसी की धारा 54 में कहा गया है कि अगर गिरफ्तार किए गए व्यक्ति मेडिकल जांच कराने की मांग करता है तो पुलिस उसकी मेडिकल जांच कराएगी।
मेडिकल जांच कराने से फायदा ये होता कि अगर आपके शरीर में कोई चोट नहीं है तो मेडिकल जांच में इसकी पुष्टि हो जाएगी। यदि इसके बाद पुलिस कस्टडी में रहने के दौरान आपके शरीर में कोई चोट के निशान मिलते हैं तो पुलिस के खिलाफ आपके पास पक्का सबूत होगा।
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