जानिए हनुमान चालीसा के पीछे ये 3 रहस्य जो आपको नहीं पता

राम भक्त हनुमान जी को कौन नहीं जानता और हनुमान जी के नाम सुनते ही तुलसीदास ने लिखी हनुमान चालीसा के बारे में याद आती है। तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा को 16वीं शताब्दी में लिखा था कि जब अकबर ने उनको कारागार में बंद किया था।कहा जाता है कि हनुमान चालीसा के लिखने के तुरंत बाद अकबर के महल पर सैकड़ों वानरों ने हम ला किया जिसके डर अक बर ने तुलसीदास जी को आ जाद किया। लेकिन 16वीं शताब्दी में लिखी हनुमान चालीसा में कुछ ऐसी रहस्यमय चीजे छुपी है जिसे पढ़कर आज का विज्ञान भी हैरान हो जाता है। पहला रहस्य। पहला रहस्य है हनुमान चालीसा में सूर्य और पृथ्वी के बीच का अंतर का वर्णन। आप सोच रहे होंगे कि आपने हनुमान चालीसा पूरी पढ़ी है लेकिन ऐसा तो कहीं नहीं है तो मैं आपको आज यही बताने वाला हूं।

हनुमान चालीसा का श्लोक क्रमांक 18

एक युग यानि कि 12 हजार वर्ष एक सहस्त्र यानि कि एक हजार वर्ष और एक योजन यानी कि आठ miles . युग सहस्त्र योजन यानी कि यह तीन अंकों का गुणा जो होता है 96 एक मील यानि कि 1. 6 किलोमीटर , 96 मिलियन माइल्स यानि कि 15 करोड़ किलोमीटर। और आज के नासा जैसे बड़े बड़े स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार पृथ्वी और सूर्य का बीच का अंतर ही 15 करोड़ किलोमीटर।तो इस श्लोक का मतलब ऐसा है कि योग सहस्र योजन इतनी दूर जाकर आपने सूर्य को मधुर फलों के खाने का प्रयास किया।

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दूसरा रहस्य Diminutive and gigantic form बचपन से ही सीखते आये हैं कि बिना किसी एक्सटर्नल एनर्जी के मास को बढ़ाना असंभव है। क्या कोई व्यक्ति या इंसान अपनी इच्छा अनुसार अपने शरीर को बड़ा या छोटा कर सकता है। हां इस वक्त आपके दिमाग में मा र्बल्स के ऐ ड मैन याद आया होगा जिनके पास भी फिल्मों में ऐसी ही ताकत दिखाई गई है। लेकिन दोस्तो सच्चाई में रामायण के राम भक्त हनुमान जी के पास भी ऐसी ही एक शक्ति है

जिससे वे अपने शरीर का आकार छोटा या फिर बड़ा कर सकते हैं। हनुमान चालीसा का श्लोक क्रमांक 9 और 10 ,जिसमें सूक्ष्म रूप यानी कि छोटा आकार और भीम रूद्र यानि कि बड़ा आकार। अगर आप सोच रहे होंगे कि उनका आकार कितना छोटा या फिर कितना बड़ा हो सकता है तो आपको उसका जवाब रामदास स्वामी जी के मारुति श्लोक में मिलेगा जिसमें कहा गया है हनुमान जी का आकार एक एटम से लेकर ब्रह्मांड यानी कि एक यूनिवर्स जितना बड़ा हो सकता है।

तीसरा रहस्य Thousand headed snake हिन्दू पुराणों में अनंत शेषनाग के बारे में लिखा गया है। कहा जाता है कि अनंत शेषनाग एक ऐसे नाग है । जिन्हें एक हजार सिर हैं। इतना ही नहीं बल्कि इस अनंत शेषनाग का संबंध सिर्फ समय यानी कि एक time से किया गया है। कहा गया है कि जब शेषनाग सीधा होता है तब समय आगे की तरफ चलता है। जिसके चलते ब्रह्मांड का निर्माण होता है और जब ये शेषनाग कुण्डली हो जाता है या फिर गोल आकार बना लेता है तब इस ब्रह्माण्ड का विनाश हो जाता है।

जब सब कुछ खत्म हो जाता है तब एक ही चीज बची हुई रहती है और वो है शेषनाग। इसलिए इन्हें शेष कहा जाता है यानि कि बचा हुआ है और ये साइकल चलता ही रहता है। इसलिए पुराणों में कहा गया है कि शेषनाग ब्रह्माण्ड के निर्माण के पहले से ही जिन्दा है और कभी म र नहीं सकते इसलिए उन्हें अनंत शेषनाग भी कहा जाता है।

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