यहां प्रकट हुआ था पहला शिवलिंग, चमत्कार देखने जुटे लाखों श्रदालु

दोस्तो आपने बहुत सारे शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग के दर्शन किए होंगे पर क्या आपने उस शिवलिंग को देखा है जो दुनिया का सर्वप्रथम शिवलिंग है। कहते हैं कि शिवलिंग को स्वयं भगवान शिव ने यहीं पर स्थापित किया था जिसके बाद यहीं से शिवलिंग की पूजा आरंभ हुई। इसके साथ ही एक वक्त यहां पर जो भी मनोकामना मांगी जाती थी वह तत्काल ही पूरी होती थी पर बाद में आदिगुरु शंकराचार्य जी ने अपनी मंत्र शक्ति द्वारा ऐसा होने से रोक दिया तो पांडवों ने ऐसा क्यों किया और यह मंदिर कहां पर स्थित है और इस शिवलिंग के पीछे का क्या रहस्य है इन सभी बातों का जवाब सभी को इस लेख  के माध्यम से जानकारी देंगे। 

जागेश्वर धाम जो अल्मोड़ा नगर से पूर्वोत्तर दिशा में पिथौरागढ़ मार्ग पर 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जागेश्वर धाम के प्राचीन मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस क्षेत्र को सदियों से आध्यात्मिक जीवंतता प्रदान कर रहे हैं। कई पारंपरिक शास्त्रों में इसे 12 मूल ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। जागेश्वर की तल की उंचाई 18 सौ सत्तर मीटर है। देवदार के घने वृक्षों से घिरी यह घाटी एक मनोहारी तीर्थ है। जागेश्वर में 124 मंदिरों का एक समूह है जो कि अति प्राचीन है। इसकी चार पांच मंदिरों में आज भी नित्य पूजा अर्चना होती है। जागेश्वर में इन मंदिर समूह का निर्माण किसने करवाया इस सवाल का जवाब खोजने पर भी नहीं मिलता किन्तु मंदिरों का जीर्णोद्वार राजा शालिवाहन ने अपने शासनकाल में करवाया था।

जागेश्वर मंदिर की मान्यता यह है कि यहां पर भगवान शिव जी का सबसे पहला शिवलिंग यहीं पर स्थापित किया गया था इस मंदिर पर इस शिवलिंग के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आना शुरू कर दिए गए हैं और शिव जी के दर्शन करते हैं। भगवान शिव जी के पूरे विश्व में आपको कई रूप और कई तरह के शिवलिंग देखने को मिल जाएंगे लेकिन जागेश्वर मंदिर में शिवलिंग की पौराणिक कहानियों के बारे में देखा जाए तो यहां पर सूची जी का सबसे पहला शिवलिंग स्थापित हुआ था जिसकी कई जानकारी वहां के पंडित ने हमें दी

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