
चीटी का दिल कैसा होता है
कहते हैं इस धरती पर जितना वजन इंसानों का है उतना ही चीटियों का भी है। इसका मतलब ये हुआ कि पृथ्वी पर चीटियों की तादाद सबसे अधिक है। चीटियों के शरीर की संरचना भी इंसानों की तुलना में काफी अलग होती है।आकर में बहुत छोटी दिखने वाली चींटी हम सभी ने कई बार देखी होगी मगर क्या कभी आपने इन चींटियों के बारे में और जानने की कोशिश की है की इनके प्रकार कैसे हैं?
कितना जीती है, क्या करती है,
तो चलिए आज हम आपको चींटी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताते है……यदि आप ने नोटिस किया हो तो चीटियों के अंदर खून नहीं होता है। जाने अंजाने में यदि आप से चींटी मरी हो तो आप ने देखा होगा कि उसके अंदर से कोई भी खून नहीं निकलता है।ऐसे में क्या आप ने कभी सोचा है कि ये चींटियाँ बिना खून के जिंदा कैसे रहती हैं?
आईए जानते हैं।
दरअसल चीटियों के अंदर न तो खून होता है और न ही दिल होता है। हार्ट मुख्य रूप से बॉडी में खून के शोधन और पंपिंग का काम करता है। इसलिए ये चीटियों के अंदर नहीं पाया जाता है। एक और दिलचस्प बात ये है कि चीटियों के अंदर फेफड़े भी नहीं होते हैं।अब आप में से कई लोग सोच रहे होंगे कि ये चींटीयां बिना दिल और फेफड़े के जिंदा कैसे रहती होगी।
दरअसल चीटियों के अंदर खून की बजाए Haemolymph नाम का पदार्थ होता है।
इसी पदार्थ के जरिए चींटीयां जीवित रहती है। ये पदार्थ शरीर के ऊतकों को पोषण देने का काम करता है।इस Haemolymph नामक पदार्थ को चीटियों के दिमाग तक पहुंचाने के लिए दिल की बजाए ‘डोर्सल एओर्ट’ (dorsal aorta) नाम का एक छोटा सा पंप होता है।
इस Haemolymph पदार्थ के जरिए ही चींटी के पूरे शरीर को ऑक्सीजन मिलता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अकशेरुकी जीवों (बिना हड्डी वाले) में एक विशेष प्रकार का रंगहीन तरल पदार्थ होता है
जिसे Haemolymph कहा जाता है।
हालांकि कुछ जीवों में ये कलरफूल भी होता है ऐसे में उसे हीमोसाइएनिन कहा जाता है। यही चीज शरीर में पोषक पदार्थ प्रवाहित करती है।वहीं ऑक्सीजन लेने के लिए चींटी की बॉडी में फेफड़े की बजाए खोखले ट्यूब्स होते हैं।
यह खोखले ट्यूब्स इनके पूरे शरीर में फैले होते हैं। हवा में उपस्थित ऑक्सीजन चींटी इन्हीं ट्यूब में भरती है। यही वजह है कि इंसानों के मुकाबले चींटी की कभी सांस नहीं भर्ती है और वह मनुष्य की तुलना में अधिक वजन उठा लेती है।
चीटिंयों के शरीर में बने इन छोटे-छोटे छिद्रों या ट्यूबों को ट्रेकिया (Trachea) कहा जाता है। ये आकार में स्पिरेकल होते हैं। तो अब आप जान गए हैं कि चींटी बिना दिल, खून और फेफड़े के जिंदा कैसे रह लेती हैं।
आपको पता है दुनियाभर में चींटियों की संख्या इंसानों से कहीं ज्यादा है। एक रानी चींटी की उम्र 30 वर्षों तक होती है। चींटी कभी सोती नहीं क्योंकि चींटी की आंखे नहीं होती है। चींटियां डायनासोर के जमाने से पायी जाती हैं।
चींटियां अपने भार से 50 गुना अधिक भार उठा सकती है। संसारभर में चींटियों की 12000 से भी ज्यादा प्रजातियां पायी जाती हैं।
कुछ चींटियां तैर भी सकती हैं।
चींटी एक सामाजिक कीट है। इसकी 12000 से अधिक जातियों का वर्गीकरण किया जा चुका है। आकार में ये 2 से 7 मिलीमीटर के बीच होती हैं। सबसे बड़ी चींटी कार्पेंटर चींटी कहलाती है। उसका शरीर करीब 2 सेंटीमीटर बड़ा होता है।
एक चींटी अपने वजन से 20 गुना ज्यादा भार ढो सकती है।अपने अक्सर देखा होगा की चीटियां कतार में चलती है इसकी वजह ये है के कतार की अगली लाइन वाली चींटी एक गंध छोड़ती है जिससे सभी चींटियां उसके पीछे -पीछे उस गंध को सूंघते हुए आती है।
चींटी के छे टांगे होती है।
कुछ चींटियां अपना घोंसला बनाकर नहीं रहती बल्कि यह एक स्थान से दुसरे पर चलती रहती हैं इन्हें फ़ौजी चींटियां कहा जाता है।फौजी चींटियां मांसहारी होती हैं यह अपने रास्ते में आने वाले छोटे से लेकर बड़े मरे हुए जीव को भी चट कर जाती हैं ।
रानी चींटी सबसे बड़ी चींटी होती है जो बहुत सारे अंडे देती है। रानी चींटी अपने जीवन काल के दौरान लगभग 60000 अंडे देती है। रानी चींटी पंखों वाली होती है।
भूरे रंग की चींटियां काले रंग की चींटियों की तुलना में काफी आक्रामक होती हैं
यह तुरंत काट लेती हैं काटने पर काफी जलन होती है। चींटियों के कान नहीं होते इसीलिए वह सुन नहीं सकती हालांकि यह कीट ध्वनि को कंपन से महसूस करते हैं। चींटी को कितनी भी उचाई से गिरा दिया जाए तो इसे कुछ नहीं होगा।
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