
दुनिया भर में को रोना वायरस के नए वैरियंट को लेकर चिंता जताई जा रही है। इसे अब तक का सबसे ज्यादा म्यूटेशन वाला वेरियंट बताया जा रहा है इसमें इतने ज्यादा म्यूटेशन है कि इसे एक वैज्ञानिक ने डरा वना बताया है तो दूसरे वैज्ञानिक ने इसे अब तक का सबसे खराब वेरियंट कहा है। इसके सामने आने के बाद सवाल उठने लगे हैं कि ये नया वेरियंट कितना संक्रामक है। वैक्सीन के बावजूद भी ये कितनी तेजी से फैल सकता है और इसे लेकर क्या करना चाहिए फिलहाल इसे लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं लेकिन अभी कुछ ही सवालों के जवाब मिल पाए हैं।
ज्यादातर वैक्सीन प्रोटीन पर हम ला करते हैं और इन्हीं के जरिये वायरस भी शरीर में प्रवेश करता है। वायरस के हमारे शरीर की कोशिकाओं से संपर्क बनाने वाले हिस्से की बात करें तो इसमें 10 म्यूटेशन हुए हैं। जबकि दुनिया भर में तबाही मचाने वाले डेल्टा वेरियंट में दो म्यूटेशन हुए थे। इस तरह का म्यूटेशन किसी एक मरीज में होने की संभावना है जो वायरस से लड़ने में सक्षम ना हो पाया हो। सभी म्यूटेशन का मतलब ये नहीं होता है कि वो बुरे होते हैं लेकिन ये देखना जरुरी है कि इसमें क्या क्या म्यूटेशन हुए हैं। हालांकि चिंता इस बात की है कि ये वायरस चीन के वुहान में मिले मूल वायरस से मौलिक रूप से अलग है। इसका मतलब ये है कि उस मूल वायरस को ध्यान में रखकर बनाई गई वैक्सीन इस वेरियंट पर अप्रभावी हो सकती है। दूसरे वेरियंट में भी कुछ म्यूटेशन देखे गए हैं जिससे इस वेरियंट में उनकी भूमिका के बारे में कुछ जानकारी मिल सकती है जैसे एन फंडेड बनवाई को रोना वायरस के लिए फैलना आसान बनाता है कुछ म्यूटेशन ऐसे होते हैं जो एंटीबॉडी के लिए वायरस को पहचानना मुश्किल बनाते हैं और इससे वैक्सीन का असर कम हो जाता है।

कुछ म्यूटेशन बिल्कुल अलग तरह के होते हैं। दक्षिण अफ्रीका में युनिवर्सिटी ऑफ ग्वांगझू नटाल में प्रोफेसर रिचर्ड लेसर कहते हैं हमारी चिंता यह है कि इससे वायरस की एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने की क्षमता बढ़ सकती है या प्रतिरक्षा प्रणाली के हिस्सों से भी बच सकता है वेरियंट के ऐसे उदाहरण भी हैं जो कागज पर तो डरा वने लगते थे लेकिन उनका कोई खास असर नहीं हुआ। साल की शुरूआत में बीटा वेरियंट चिंता का कारण बना था क्योंकि ये प्रतिरक्षा तंत्र से बच निकलने में ज्यादा माहिर था लेकिन बाद में डेल्टा वेरियंट पूरी दुनिया में फैल गया और बड़ी परेशानी का कारण बना। यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के प्रोफेसर रवि गुप्ता कहते हैं बीटा प्रतिरक्षा तंत्र से बच सकता था डेल्टा वैरियंट में संक्रामक ता थी और प्रतिरक्षा तंत्र से बचने की थोड़ी क्षमता थी। नए वैरियंट को लेकर प्रयोगशालाओं में होने वाले वैज्ञानिक अध्ययन तस्वीर को और साफ करेंगे में वायरस के प्रभाव की निगरानी से नतीजे जल्द मिलेंगे। अभी पूरी तरह निष्कर्ष निकालना बहुत जल्दी होगा लेकिन शुरुआती संकेत इसे लेकर चिंता पैदा करते हैं।
दक्षिण अफ्रीका के शूटिंग में 77 बोत्सवाना में चार मामलों और हांगकांग में एक मामले की पुष्टि हुई है। हांगकांग का मामला दक्षिण अफ्रीका की यात्रा से जुड़ा है हालांकि इस बात के भी संकेत मिले हैं कि ये वैरियंट और तेजी से फैला है। इस वेरिएंट के स्टैंडर्ड टेस्ट में अजीब नतीजे सामने आ रहे हैं और इसका इस्तेमाल कर पूरे आनुवांशिक विश्लेषण के बिना वैरियंट को ट्रैक किया जा सकता है। यह बताता है कि शूटिंग के 90 फीसदी मामले पहले से ही इस वेरिएंट के हो सकते हैं। यह दक्षिण अफ्रीका के कई प्रांतों में पहले से ही मौजूद हो सकता है लेकिन इससे यह पता नहीं चलता कि यह डेटा वेरियंट के मुकाबले तेजी से फैल सकता है या नहीं ये कितना गंभीर है और वैक्सीन से बने प्रतिरक्षा तंत्र से भी कितना बच सकता है।
इससे यह भी पता नहीं चलता कि ये वैरियंट उन देशों में कितनी तेजी से फैलेगा जिनकी वैक्सिनेशन दर दक्षिण अफ्रीका की 24 फीसदी वैक्सिनेशन दर से कहीं ज्यादा है। फिलहाल हमारे सामने ऐसा वेरियंट है जो हमारी चिंताएं बढ़ा रहा है लेकिन हमें उसके बारे में बहुत कम जानकारी है। इस वेरियंट पर करीब से नजर रखे जाने की जरूरत है और यह सोचने की जरूरत है कि कब क्या करना है। इस महामारी ने हमें सीख दी है कि हम सभी सवालों के जवाब मिलने तक इंतजार नहीं कर सकते। इस वेरियंट की गंभीरता देखते हुए भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को राज्यों को निर्देश दिया है कि वो दक्षिण अफ्रीका हांगकांग और बोत्सवाना से आने या जाने वाले यात्रियों की सख्ती से जांच करे और उनका परीक्षण करे।
Leave a Reply