
चेरापूंजी में इतनी बारिश क्यों होती है ? Why is so much rain in Cherrapunji ?_ Cherrapunji Rainfall
क्या आप जानते हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा बारिश कहां होती है? चेरापूंजी? या मासिनराम? क्या आपके दिमाग में भी यह सवाल सुनकर कुछ देर के लिए एक शक पैदा हो जाता है. बचपन से हम जनरल नॉलेज की किताबों में यही पढ़ते आए
कि भारत के उत्तर पूर्व में स्थित मेघालय राज्य के चेरापूंजी देश का ही नहीं पूरी दुनिया का सबसे अधिक बारिश वाला शहर है. लेकिन एकाएक यह शहर बदलकर मासिनराम हो गया. दरअसल, मासिनराम और चेरापूंजी के बीच 15 किलोमीटर का ही अंतर है.
गिनीज बुक में दर्ज है कि साल 1985 में मासिनराम में 26,000 मिलीमीटर बारिश हुई थी जो अपने आप में एक रिकॉर्ड रहा.बंगाल की खाड़ी से नजदीकी और जमीन से 1491 मीटर की ऊंचाई होने की वजह से यहां साल भर बहुत अधिक नमी रहती है.

खासी की पहाड़ियों पर बसे इस छोटे से गांव में हर साल करीब 11,871 मीटर बारिश होती है. इस बारिश से इतना पानी भर सकता है कि दुनिया की कई मशहूर इमारतें डूब सकती हैं.चेरापूंजी में मासिनराम की तुलना में 100 मिलीमीटर कम बारिश होती है. इस तरह यह दुनिया का दूसरा सबसे अधिक बारिश वाला गांव है.
दरअसल अगर हम इतिहास में जाकर सबसे अधिक हुई बारिश की बात करें तो उसमें अभी भी चेरापूंजी पहले नंबर पर है. साल 2014 के अगस्त महीने में चेरापूंजी में 26,470 मिलीमीटर की बारिश हुई थी जो मासिनराम से अधिक था.
लेकिन अगर हम साल भर का औसत निकालें तो बहुत कम अंतर से ही सही लेकिन मासिनराम दुनिया का सबसे अधिक बारिश वाला स्थान माना जा सकता है.मेघालय के मासिनराम और चेरापूंजी के अलावा कोलंबिया के दो ऐसे गांव हैं
जो सबसे अधिक बारिश के मामले में इन्हें टक्कर देते हैं. उत्तर पश्चिमी कोलंबिया के शहर लाइओरो और लोपेज डे मिसी ये दो शहर हैं जहां साल भर बारिश होती है.
साल 1952 और 1954 के बीच में यहां सालाना 13,473 मिलीमीटर बारिश हुई थी जो मासिनराम की औसत बारिश से अधिक है.लेकिन मौसमविदों का मनाना है कि उस समय बारिश को मापने के जो पैमाने प्रयोग किए जाते थे उनको अब नकार दिया गया है.
साथ ही कोलंबिया के इन गांवों की बारिश का कई सालों का रिकॉर्ड भी अब खो चुके हैं. अब पिछले 30 सालों के डेटा के आधार पर भारत के मेघालय में स्थित यह दोनों गांव ही पहले और दूसरे नंबर पर आते हैं.
कैसा है यहां का जीवन:
किसी भी स्थान पर रहने वाले लोगों का जीवन वहां की जलवायु पर बहुत अधिक निर्भर करता है. मासिनराम और चेरापूंजी में जहां हमेशा मौसम नमी भरा रहता है,
लोगों का पहनावा, खान-पान और काम-काज सब कुछ रेगिस्तान में रहने वालों से बिलकुल अलग होते हैं. इन हिस्सों में लगातार बारिश होती रहती है.
इस वजह से यहां खेती करने की संभावना नहीं होती. इसीलिए यहां सबकुछ दूसरे गांव और शहरों से आता है. इस सामानों को प्लास्टिक में लपेटकर ड्रायर से सुखाकर बेचा जाता है.
यहां लोग हमेशा अपने साथ बांस से बनी छतरियां रखते हैं. इन्हें कनूप कहा जाता है. काम पर जाने के लिए लोग प्लास्टिक पहनकर जाते हैं. बारिश की वजह से सड़कें बहुत जल्दी खराब हो जाती हैं.
इसीलिए लोगों का बहुत सा समय इनकी मरम्मत में ही लग जाता है. जीवन बहुत मुश्किल है और बारिश इसे और मुश्किल बनाती है.
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